एक अकेला पार्थ खडा है भारत वर्ष बचाने को।सभी विपक्षी साथ खड़े हैं केवल उसे हराने को।।भ्रष्ट दुशासन सूर्पनखा ने माया जाल बिछाया है।भ्रष्टाचारी जितने कुनबे सबने हाथ मिलाया है।।समर भयंकर होने वाला आज दिखाईं देता है।राष्ट्र धर्म का क्रंदन चारों ओर सुनाई देता है।।फेंक रहें हैं सारे पांसे जनता को भरमाने को।सभी विपक्षी साथ खड़े हैं केवल उसे हराने …
Read More »रंग… अब बिदा भये
बासन्ती बयारों के संग आये रंग, फ़ागुण में छाए और जमकर बरसे अगले बरस फिर लौटकर आने का वादा कर छोड़ गए अपनी रंगत चौक-चौबारों, गली-मोहल्लों में छोड़ गए अपने निशान, देह पर छोड़ी छाप घर-आँगन, मन आँगन में अक्स छोड़ गए रंग रंग… अब बिदा भये। अगले बरस फिर से लौटकर आने का वादा कर अलविदा हुए रंग। जो …
Read More »“याद”
‘याद’ का ना होना ‘भूलना’ नहीं हैजैसे सुख का ना होना दुख नहीं हैऔर उम्मीद का ना होना नाउम्मीदी से अलग है एक समय के बादहोने और ना होने के बीचकोई फ़र्क नहीं रह जातादुःख की शक्ल सुख से मिलने लगती हैदुःख अंततः अपना लिया जाता हैफिर सुख का एक क्षण भीव्यवधान सा लगता है ‘याद’ जिए हुए सुख का …
Read More »हम रीते ही मर जाएंगे…
युद्ध की आहट पर पनपता है प्रेमविदा होते हुए प्रेमीशिद्दत से चूमते हैं एक-दूसरे कोऔर जमा कर लेते हैं इतना प्यार किगुज़ारा हो सके उम्र के आख़री बसंत तक लेकिन सरहद से हज़ारों मील दूरयहाँ इस शांत शहर में, नहीं पहुंचेगी कोई मिसाइल कभीनहीं फटेगा कोई बमनहीं दहलेगी ज़मींनहीं कांपेगा आसमांबंदूके रोक ली जाएंगी सरहदों परनहीं होगा कोई धमाका कभी और …
Read More »स्मृतियाँ
यहाँ कुछ नहीं ठहरा हैयहाँ कुछ नहीं ठहरेगासिवाय स्मृतियों के….. कुहासे में धुंधलाईतस्वीरों का कोलाज,संवादों की प्रतिध्वनि,और पलकों की कोर से झरी हुईकुछ उपेक्षित कविताएँ ठहरी रहेंगी यहाँसांसों के आने जाने के बीच और ठहरे रहेंगेआत्मा को बिंधते असंख्य नुकीले प्रश्न,रूठी आँखों में जागतीअनमनी प्रतिक्षाएँऔर दोनों ध्रुवों के बीच पसरानिष्ठुर मौन, कुछ और भी हैजो ठहर जाता है वक्त बेवक़्ततंग रास्तों पर …
Read More »ड्रिंक एंड ड्राइव
माँ मैं एक पार्टी में गया था।तूने मुझे शराब नहीं पीनेको कहा था, इसीलिए बाकी लोग शराब पीकर मस्ती कर रहे थे और मैं सोडा पीता रहा।लेकिन मुझे सचमुच अपने परगर्व हो रहा थामाँ, जैसा तूने कहा था कि ‘शराब पीकरगाड़ी नहीं चलाना’। मैंने वैसा ही किया।घर लौटते वक्त मैंने शराब को छुआ तक नहीं, भले ही बाकी दोस्तों नेमौजमस्ती …
Read More »“मां से सीखा है” – मदर्स डे स्पेशल
मां को बच्चों की प्रथम गुरु कहा है।मां हमेशा अपने बच्चों को सही-गलत और जीवन के महत्वपूर्ण पाठ पढ़ाती है।जीवन में जब भी कुछ समझ नहीं आता, कोई रास्ता नहीं सूझता तो मां से बात करने से उनकी गोद में सिर रखकर अपने मन का हाल उन्हें बताने से हमें नया रास्ता भी मिल जाता है और एक उम्मीद भी …
Read More »तुम अस्पताल के लिये लड़े कब ?
तुम अस्पताल के लिये लड़े कब ??तुम तो नक्सलियों के साथ देश के विरुद्ध ही लड़ते रहे..तुम तो पुलिस, CRPF और पैरामिलेट्री फोर्स से RDX बिछाकर , बम से उड़ाकर और घात लगाकर लड़ते रहे .. तुम अस्पताल के लिये लड़े कब ?तुम तो कभी नार्थईस्ट, तो कभी पंजाब , तो कभी कश्मीर को भारत से अलग करने के लिये …
Read More »उन सभी बेटियों को समर्पित, जो दूर, अपने संसार में व्यस्त हैं, और अपने घर गृहस्थी कि कर्तव्य निभा रहीं हैं…
माँ का घर ,जो अब भी नहीं भूला !! बरसों बीत गए ,उस घर से विदा हुए ,बरसों बीत गए ,नई दुनिया बसाए हुए ,पर न जानें क्या बात है ?शाम ढलते ही मन ,उस घर पहुँच जाता है !! माँ की आवाज़ सुनने को ,मन आज भी तरसता है ,महक माँ के खाने की ,आज भी दिल भरमाती है …
Read More »“मैंने दहेज़ नहीं माँगा”
कुछ महिलाए ऐसी भी है जो अधिकार का दुरप्रयोग कर रही है… साहब मैं थाने नहीं आउंगा,अपने इस घर से कहीं नहीं जाउंगा,माना पत्नी से थोड़ा मन-मुटाव था,सोच में अन्तर और विचारों में खिंचाव था,पर यकीन मानिए साहब, “मैंने दहेज़ नहीं माँगा” मानता हूँ कानून आज पत्नी के पास है,महिलाओं का समाज में हो रहा विकास है।चाहत मेरी भी बस …
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